Saturday 8 December 2012


मैंने देखी पहली फिल्म-‘मैं ना भूलूँगा...’-हमसे है मुक़ाबला’
मेरे जीवन की पहली फिल्म, जो सिनेमाघर में देखी, वो है- ‘हमसे है मुक़ाबला’। प्रभुदेवा और नगमा अभिनीत इस फिल्म में ए.आर. रहमान का संगीत था। रहमान हिन्दी फिल्मी दुनिया में उस समय नये-नये आए थे, अपनी 2-3 सफल फिल्मों (रोजा, बाम्बे आदि) के बाद। संगीत के साथ-साथ प्रभुदेवा का डांस वाकई कमाल का था। हिन्दी डबिंग के गीतकार पी.के. मिश्रा के गाने भी बहुत मक़बूल हुए थे। ये फिल्म मैंने अपने स्कूल के 2-4 दोस्तों के साथ बिना किसी इच्छा के, देखने गया था। बात उस समय की है जब यह फिल्म पहली बार परदे पर प्रदर्शित हुई और अपने शहर बनारस (वाराणसी) में लगी थी। टेलीविजन पर लगभग हर फिल्मों से सम्बन्धित कार्यक्रम जैसे-चित्रहार, countdaown शो इत्यादि में ‘हमसे है मुकाबला’ के गीत खूब प्रसारित होते थे। यह सब देख कर मन तो जरूर करता था की फिल्म देखी जाए, मगर सिनेमाघर में जा कर फिल्म देखना मेरे जैसे दसवीं कक्षा का विद्यार्थी होने तथा एक अध्यापक का पुत्र होने के नाते खुद को रोकना भी पड़ता था। कारण, कहीं पापा को बुरा न लगे। उस समय बच्चों का फ़िल्में देखना अच्छा नहीं माना जाता था और आज भी यही होता है।

२-३ महीनों बात एक अवसर मिला। वह १४अगस्त का दिन था। अगले दिन स्वतंत्रता दिवस के कारण जल्दी छुट्टी होनी थी। उस दिन हम सभी छात्र स्कूल जाते, कुछ कार्यक्रम होते, कुछ में भाग लेते, तिरंगा फहराते और फिर छुट्टी। मेरे कुछ सहपाठी लोग फिल्म देखने की योजना बना रहे थे। तभी किसी ने मुझसे पूछा- ‘क्या तुम हमारे साथ फिल्म देखने चलोगे’? मेरे लिए एक असमंजस की बात थी। आज तक कभी गया नहीं, मगर सुझाव बुरा भी नहीं था, फिर भी कहा- ‘पापा से पूछ कर बताऊंगा’। दोस्तों ने कहा- ‘ठीक है अगर चलना हो तो सारे कार्यक्रम के बाद हमारे साथ चलना, १२ से ३ वाला शो देखेंगे’। पूरा दिन बीत गया कि कैसे पापा से अनुमति मांगूं, फिल्म देखने की? क्या सोचेंगे? बच्चा कहीं बिगड़ तो नहीं रहा, कोई देशभक्ति फिल्म भी तो नहीं लगी है इस समय, जो अनुमति मांगने में मेरी मदद करे। कैसे कहूँ? फिर मैंने सोचा, कल ही तुरंत स्कूल में सारे कार्यक्रम समाप्त होते ही पापा को बता दूंगा। अगर हाँ कहेंगे, तो जाऊंगा। पापा मेरे उसी स्कूल में अध्यापक भी थे, तो कोई परेशानी भी नहीं हुई। जब पापा से कहा तो बोले- ‘कैसे जाओगे? मैंने सब कुछ सही सही बता दिया और पापा ने कहा- ‘जाओ मगर संभल कर जाना, और साथ में कुछ पैसे भी दिए। शायद पापा को लगा होगा कि बेटा कभी फिल्म देखने नहीं गया और आज पहली बार अनुरोध किया तो मना करना ठीक नहीं होगा। मैं बहुत खुश हुआ था। हम सभी लोग अपनी अपनी साइकल से अपने स्कूल के ड्रेस- सफ़ेद रंग के शर्ट, पैंट, पी.टी.शू वाले सफ़ेद जूते मोज़े और शर्ट की जेब पर लगे प्लास्टिक के एक तिरंगे प्रतीक समेत सिनेमाघर की ओर चल पड़े। १०:३० बजे स्कूल से रवाना हुए और बीच में इधर उधर घूमते-रुकते ११:३० बजे मलदहिया स्थित आनंद मंदिर सिनेमाघर। उन दिनों टिकट-दर ८, १०, और बालकनी का १२ रुपये हुआ करता था।  


फिल्म शुरु होने से पहले हम सभी के मन में दो बातें उत्सुकतावश घर कर गई थी। पहली, ये कि फिल्म "हम से है मुकाबला" एक तमिल फिल्म "कादलन" का हिंदी रूपांतरण था, इस तरह से हिंदी में संवाद रूपान्तरण के कारण सभी पात्रों के होंठों के हिलने में अंतर मिलेगा, क्योंकि संवाद मूलतः तमिल भाषा में थे और अगर हिंदी में सभी संवाद बनाये गए होंगे तो किस तरह से तमिलभाषी लोग हिंदी बोल पा रहे हैं। दूसरी बात यह थी की इस फिल्म के दो गीत "उर्वशी उर्वशी..." तथा "मुक्काला मुकाबला होगा..." में प्रभुदेवा की नृत्य गति बहुत तेज़ थी और ऐसा हम लोग सोचते थे कि पहले इन दोनों गानों का पूरा डांस देखेंगे फिर सोचेंगे की ऐसा डांस हमारे हिंदी फिल्मों के कलाकार गोविंदा कर पायेंगे या नहीं, क्योंकि टेलीविजन पर केवल बेस्ट सीन ही दिखाते। फिल्म पूरी देखने के बाद यकीन हुआ कि प्रभुदेवा का "फास्ट डांस" में कोई मुकाबला नहीं कर सकता।
पंकज मुकेश की देखी पहली फिल्म ‘हमसे है मुक़ाबला’ से एक बेहद लोकप्रिय गीत- "उर्वशी ..." 
https://www.youtube.com/watch?v=KxFcqi6ttAohttps://www.youtube.com/watch?v=p-bXhJFNI00

 आभार :-कृष्णमोहन  मिश्र  जी !!!

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