मुकेश और भरत व्यास का साथ
4 जुलाई को स्मृति विशेष-भरत व्यास
साथियों कई सालों बाद आज 4 जुलाई को आप सब से रू-बा-रू हो रहा हूँ, क्यूंकि आज का दिन कुछ विशेष है I जी हाँ आज ही के दिन 1982 में भारत के एक महान गीतकार पंडित भरत व्यास जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था I प्रथम दृष्टि में भरत व्यास जी को मेरे जैसे कोई भी साधारण संगीत प्रेमी से उनका परिचय पूछा जाय तो सबसे पहले यही बात ध्यान आता है कि वो गीतकार, जिसने उर्दू की दुनिया यानि कि गीत-संगीत और फिल्म नगरी में रह कर भी उर्दू से परहेज किया I भरत व्यास के गीतों में उर्दू शब्दों को खोजना, मानों रेत में सुई खोजने के समान है I मुझे व्यास जी का एक बेहद ही मशहूर गीत याद आ रहा हैं, जिसमें हिंदी के शब्दों के साथ-साथ उर्दू शब्दों का भी प्रयोग मिलता है, जो एक असाधारण बात है I
वो गीत है- ऐ मालिक तेरे बंदे हम- दो आँखें बारह हाथ-1957 I इस गीत में कुछ उर्दू और गैर-हिंदी शब्द जैसे-ज़ुल्मों, बदी, बेखबर, नज़र इत्यादि I ये गीत इतना ज्यादा प्रसिद्द हुवा कि बहुत जल्द ही व्यास जी को प्रार्थना गीतों के गीतकार की पहचान दिला दी I ये गीत न केवल भारत में बल्कि पकिस्तान, श्री लंका इत्यादि पड़ोसी देशों में गाया और सुना गया, यहाँ तक कि इन् देशों के कई विद्यालयों में प्रतिदिन प्रार्थना सभा में बच्चों द्वारा गाया जाता रहा I व्यास जी का लिखा एक और गीत को उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा वहाँ की विद्यालयों में एक प्रार्थना गीत के रूप में स्वीकृति मिली 1990 के आस पास वो गीत, मेरे और इस संसार के सबसे सुन्दर और मधुर आवाज़ के मालिक, प्रसिद्ध गायक मुकेश जी ने गाया था, फ़िल्म संत ज्ञानेश्वर से-जोत से जोत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो I वैसे तो इस गीत का एक और महिला संस्करण लता मंगेशकर की आवाज़ में फिल्म में एक बाल कलाकार के लिए प्रयोग किया गया, मगर मुख्य संस्करण तो मुकेश जी का ही सबसे ज्यादा ख्याति प्राप्त और प्रचलित हुवा I
अब आते हैं आज के मुख्य विषय पर I बात कुछ यूँ है कि समझ लीजिये की कुछ फ़िल्मी अंदाज़ में एक घटना घटी, वो भी गीतकार भरत व्यास जी के साथ I जब वो अपने फ़िल्मी सफ़र के सफलतम दिनों में नयी ऊंचाइयां प्राप्त कर रहे थे, तभी अचानक उनका जवान बेटा (श्याम सुंदर व्यास) उनसे किसी बात पर रूठ कर घर छोड़ कर कहीं चला गया, वो भी लम्बे समय तक काफी तलाश करने पर भी कुछ पता नहीं चला I ये बात व्यास जी को अन्दर से कमज़ोर कर दिया, मानोअब फ़िल्मी दुनिया और गीत संगीत से उनका मन विचलित हो गया I हमेशा बेटे की याद, चिंता और मन में एक कसक उनको परेशान करती रहती I अंततः उन्होंने फिल्मों से अघोषित संन्यास सा ले लिया I
मुकेश जी के साथ भारत व्यास, वी. सांताराम और विट्ठल भाई पटेल (गीत ये कौन चित्रकर है-बूंद जो बन गई मोती फिल्म)